है ~इश्क तो फिर असर भी होगा, जितना है इधर उधर भी~होगा
मिल~नहीं पाता तो क्या~हुआ मोहब्बत~तो तुमसे फिर भी बेहिसाब करता~हूं
जिसे~सोच कर ही चहरे पर खुशी आ~जाये वो~खूबसूरत एहसास हो~तुम
तेरे~इश्क में में इस तरह नीलाम हो~जाऊँ आखरी~हो तेरी बोली और में तेरे नाम हो~जाऊ
मुझे~बस तू चाहिये~ ये मत पूछ क्यों चाहिए ~
तेरे~इश्क में में इस तरह नीलाम हो~जाऊँ आखरी~हो तेरी बोली और में तेरे नाम हो~जाऊ
तुम्हें~दिल में हजार बार याद करता~हूँ मैं~तुम्हें तुमसे ज्यादा प्यार करता~हूँ
दूरियों~से ही एहसास होता है~की नज्दिकिया कितनी खास होती हैं ~
कहने~को तो मेरा दिल एक है~लेकिन जिसको~दिल दिया है वो हजारो में एक~है
मेरी~जिन्दगी मेरी जान हो~तुम मेरी~सुकून का दूसरा नाम हो~तुम
तुम्हारा~तो गुस्सा भी इतना प्यारा है~की दिल~करता है दिनभर तुम्हे तंग करता~रहूँ
चुपके~चुपके रात दिन आसूं बहाना याद~है हम~को अब तक आशिकी का वो जमाना याद~है